ताज़ा खबरें
वक्फ कानून के खिलाफ नई याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

नई दिल्ली: भारत ने पाकिस्तान के इस दावे को आज (गुरूवार) खारिज कर दिया कि उसकी जेआईटी को सुरक्षाबलों के गवाहों से नहीं मिलने दिया गया। इसके साथ ही भारत ने कहा कि पाकिस्तानी जांच टीम का कार्य उन संदर्भ शर्तों (टीओआर) के अनुरूप था जिन पर दोनों देशों की सरकारें सहमत हुयी थीं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि संयुक्त जांच दल (जेआईटी) की यात्रा पारस्परिक आधार पर और मौजूदा कानूनी प्रावधानों के अनुरूप थी। उन्होंने जोर दिया कि यह पहली बार है जब भारत सरकार को भारत में आतंकवादी हमले की जांच के लिए एक जेआईटी यात्रा के रूप में पाकिस्तान से सहयोग मिला। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के कल के बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘भारत में जेआईटी का कार्य टीओआर के अनुरूप था जिस पर दोनों सरकारें अपने अपने विदेश कार्यालयों के जरिए सहमत हुयी थीं। ये पारस्परिक आधार पर हैं और मौजूदा कानूनी प्रावधानों के अनुरूप हैं।’ पाकिस्तान ने कल कहा था कि उसकी जेआईटी को सुरक्षाबलों के गवाहों से नहीं मिलने दिया गया।

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्यौगिकी संस्थानों (आईआईटी) में बीटेक कोर्स की फीस 90 हजार रुपये प्रतिवर्ष से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दी गई है। आईआईटी स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने फीस बढ़ोत्तरी को मंजूरी प्रदान कर दी है। गुरुवार को इस संदर्भ में आदेश जारी किया गया है। बढ़ी हुई फीस जुलाई से आरंभ होने वाले सत्र से लागू होगी। लेकिन गरीब विद्यार्थियों को शुल्क से छूट दी गई है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी ने यहां संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई फीस नए सत्र से लागू होगी। देश में करीब डेढ़ दर्जन आईआईटी संस्थान हैं जिनमें दस हजार छात्र बीटेक कोर्स में हर साल एडमिशन लेते हैं। फीस में यह बढ़ोत्तरी 100 फीसदी से भी ज्यादा है। मोटे तौर पर यह फीस छात्रों पर आने वाली लागत को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। प्रति छात्र ढाई लाख रुपये लागत पढ़ाई का खर्च आईआईटी को बैठता है। ईरानी ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विकलांग छात्र-छात्राओं, गरीबी की रेखा के नीचे के लोग, एक लाख रुपये की सालाना पारिवारिक आय वाले उम्मीदवारों को पूरी तरह से फीस माफ रहेगी।

नई दिल्ली: सूखे को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इसके मुताबिक केंद्र सरकार एक हफ्ते में मनरेगा के तहत राज्य सरकारों को 11030 करोड़ देगी। इसमें से 7983 करोड़ रुपये की रकम वह है जो राज्यों के बकाया हैं। 2723 करोड़ रुपये 10 सूखा पीड़ित राज्यों में मनरेगा के तहत काम करने वाले मज़दूरों के लिए हैं ताकि उनको 50 दिन का और कामकाज मिले। बताया गया है कि 2014-15 में मनरेगा के तहत काम करने वाले 27% लोगों को फौरन पैसा अदा कर दिया गया था। साथ ही 2015-16 में मनरेगा के तहत काम करने वाले 45 फीसदी लोगों को फौरन पैसा दे दिया गया। सूखे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को भी फटकार लगाई। अदालत ने कहा, क्या ये गंभीरता है जो आप इस मुद्दे पर दिखा रहे है। हम उन लोगों की बात कर रहे हैं जो सूखे की वजह जान गंवा रहे हैं। हम हरियाणा में पिकनिक या रोडवेज में सवारी की बात नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब हरियाणा सरकार की ओर से सूखे पर जवाब दिया गया जिसमें आधी-अधूरी जानकारी थी और डाटा भी नहीं थे। अदालत ने गुजरात सरकार को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा, जब सितंबर में पता लग गया था कि सूखे के हालात हो सकते हैं तो आपने अब 1 अप्रैल को सूखा क्यों घोषित किया।

नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आधार विधेयक को धन विधेयक के रूप में लेने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पिछले महीने बजट सत्र में राज्यसभा द्वारा किए गए पांच संशोधनों को खारिज करते हुए लोकसभा ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी। पिछली संप्रग सरकार में मंत्री रहे रमेश ने कहा, ‘आधार को धन विधेयक के रूप में लेने के फैसले को चुनौती देते हुए बुधवार को मैंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।’ इसी के साथ ही आधार को धन विधेयक के रूप में लेने पर विवाद ने नया मोड़ ले लिया है क्योंकि आमतौर पर यह माना जाता है कि ऐसे मामलों में लोकसभा अध्यक्ष का विवेक अंतिम होता है। वैसे इसके पारित होने के समय से ही विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा नीत राजग सरकार पर आधार विधेयक को धन विधेयक के रास्ते से पारित कराने को राज्यसभा की घोर अवमानना बताते हुए विपक्षी दल ने पहले संकेत दिया था कि इस मामले को अदालत में चुनौती दी जाएगी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख