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बीजिंग: वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज (शुक्रवार)कहा कि भारत ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने :ब्रेक्जिट: के अल्पकालिक और मध्यम अवधि के परिणामों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और उसके पास अच्छे-खासे विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में निकट भविष्य और मध्यम अवधि के लिए ठोस सुरक्षा दीवार है। उन्होंने कहा कि जनमत संग्रह के नतीजे से वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ेगा। विश्व के सभी देशों को संभावित हलचल से की अवधि के लिए अपने आपको तैयार करना होगा जबकि साथ ही मध्यम अवधि में इसके असर के लिए प्रति सतर्क रहना होगा। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘जहां तक भारतीय अर्थव्यवस्था का सवाल है हम ब्रेक्जिट के अल्पकालिक और मध्यम अवधि परिणामों से निपटने के लिए तैयार हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत वृहत्-आर्थिक ढांचे के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसका ध्यान स्थिरता बनाए रखने पर है।

नई दिल्ली: ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने की खबर से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था हिल गई है। रुपया 96 पैसा लुढ़क गया है। जबकि अगर ब्रिटेन की मुद्रा पाउंड की बात करें तो डॉलर के मुकाबले ये 31 वर्ष के निचले स्तर पर आ गया है। भारतीय शेयर बाजार भी 1000 अंकों तक धड़ाम हो गया। ब्रिटेन के जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के पक्ष में अधिक मत पड़ने की आशंका के बीच आज शुरुआती कारोबार में रुपया 68 के स्तर को पार कर गया। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि आयातकों तथा बैंकों की ओर से अमेरिकी मुद्रा की मांग बढ़ने और विदेशी कोष की निकासी के बीच घरेलू मुद्रा पर असर पड़ा। रुपया कल के कारोबार में 23 पैसे चढ़कर 67.25 पर बंद हुआ था। जबकि आज यह 96 पैसे टूट गया। यूरोपीय संघ (ईयू) से ब्रिटेन के बाहर निकलने की आशंकाओं के बीच देश की मुद्रा पाउंड, डॉलर के मुकाबले 31 वर्षों के निचले स्तर तक लुढ़क गया है। ईयू में बने रहने या इससे बाहर निकलने के लिए गुरुवार को ब्रिटेन में ऐतिहासिक जनमत संग्रह हुआ था। ‘द इंडिपेंडेंट’ के मुताबिक, बाजार को अनुमान है कि ब्रिटेन ईयू से बाहर निकल सकता है। बाजार के इस अनुमान के कारण पाउंड 1985 के बाद के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। पाउंड पहले ही एकदिनी ऊपरी और निचले स्तर तक लुढ़क चुक है। यह 10 प्रतिशत से अधिक ऊपरी और निचले स्तर के बीच रहा है।

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज बड़े पैमाने पर स्पेक्ट्रम नीलामी योजना को मंजूरी दे दी। इससे सरकारी खजाने में 5.66 लाख करोड़ रपये आने की उम्मीद है। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि स्पेक्ट्रम नीलामी प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है। सरकार को 2300 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम नीलामी से कम से कम 64,000 करोड़ रपये मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा दूरसंचार क्षेत्र में विभिन्न शुल्कांे तथा सेवाओं से 98,995 करोड़ रपये प्राप्त होंगे। सूत्रांे ने बताया कि नीलामी के लिये मुख्य दस्तावेज, आवेदन आमंत्रित करने का नोटिस संभवत: एक जुलाई को जारी किया जाएगा। इसके बाद 6 जुलाई को बोली पूर्व सम्मेलन होगा। बोलियां एक सितंबर से लगनी शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि, योजना की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है। अंतर मंत्रालयी समिति द्वारा मंजूर नियमांे के तहत नीलामी में 700 मेगाहट्र्ज का प्रीमियम बैंड भी शामिल रहेगा। इस बैंड के लिए आरक्षित मूल्य 11,485 करोड़ रपये प्रति मेगाहट्र्ज रखा गया है। इस बैंड में सेवा प्रदान करने की लागत अनुमानत: 2100 मेगाहट्र्ज बैंड की तुलना में 70 प्रतिशत कम है, जिसका इस्तेमाल 3जी सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाता है।

बेंगलुरू: मौद्रिक नीति की आलोचना करने वालों को जवाब देते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को कहा कि कमजोर ऋण वृद्धि का कारण ऊंची ब्याज दर नहीं बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर फंसे कर्ज का दबाव होना है। राजन ने रिजर्व बैंक के अधिशेष कोष का उपयोग सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराने के लिये करने के सुझाव को भी खारिज कर दिया। उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘रिजोल्विंग स्ट्रेस इन द बैंकिंग सिस्टम’ पर अपने संबोधन में रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा, ‘मैं यह दलील दूंगा कि ऋण वृद्धि में नरमी का बड़ा कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर दबाव है न कि उच्च ब्याज दर।’ साथ ही उन्होंने बैंकों के लिये उद्योग को कर्ज देने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा, ‘हमें वास्तव में इस बात की जरूरत है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक फिर से उद्योग एवं बुनियादी ढांचे को कर्ज दे अन्यथा ऋण तथा वृद्धि प्रभावित होगी।’ राजन ने जोर देकर कहा, ‘यह ब्याज दर का स्तर नहीं है जो समस्या है। बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बही-खाते में जो पहले से ऋण हैं, वे दबाव में हैं और इसीलिए वे उन क्षेत्रों को कर्ज देने को इच्छुक नहीं हैं जहां उन्होंने पहले से अधिक रिण दे रखा है।’

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