ताज़ा खबरें
न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई बने भारत के नए प्रधान न्यायाधीश
भारत सरकार ने पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी को किया निष्कासित
कश्मीर पर दूसरे देश की मध्यस्थता भारत को मंजूर नहीं: विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को स्टार्टअप के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के कोष को मंजूरी दे दी। इस कोष का इस्तेमाल स्टार्ट अप की मदद के लिए किया जाएगा। इसका मकसद 18 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस कोष के पूर्ण इस्तेमाल के जरिये करीब 18 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। 10 हजार करोड़ रुपये के कोष से 60 हजार करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश और इससे दोगुना ऋण निवेश हासिल किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। बयान में कहा गया है, 'मंत्रिमंडल ने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) में स्टार्टअप के लिए कोष की स्थापना को मंजूरी दे दी है। यह विभिन्न वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) में योगदान करेगा, जो सेबी के पास पंजीकृत हैं। बाद में एआईएफ स्टार्टअप का वित्तपोषण करेंगे।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज (बुधवार) तीन साल में एक करोड़ नए रोजगार सृजित करने, 11 अरब डालर का निवेश तथा 30 अरब डालर का निर्यात हासिल करने के लिए कपड़ा एवं परिधान क्षेत्रों के लिए 6,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को मंजूरी दे दी। जिन उपायों को मंजूरी दी गई है उनमें परिधानों के लिए ड्यूटी ड्रॉ बैंक, उत्पादकता बढ़ाने को श्रम कानूनों में लचीलापन तथा परिधान विनिर्माण में रोजगार पैदा करने के लिए कर व उत्पादन प्रोत्साहन शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने संवाददाताओं से कहा, ‘पिछले कुछ साल में परिधान विनिर्माण लागत लाभ की वजह से चीन जैसे देशों को स्थानांतरित हुआ है। हालांकि, श्रमिकों की मजदूरी बढ़ने की वजह से चीन का लागत लाभ अब सीमित हुआ है।’ जेटली ने कहा कि इस पैकेज से कपड़ा और परिधान क्षेत्र में रोजगार सृजन की वास्तविक क्षमता को पाने में मदद मिलेगी। कपड़ा सचिव रश्मि वर्मा ने पत्रकारों से कहा, ‘6,000 करोड़ रुपये के पैकेज से 11 अरब डालर का अतिरिक्त निवेश लाने में मदद मिलेगी।

मुंबई: जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमूरा का मानना है कि रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के उत्तराधिकारी के लिए जिन नामों पर अटकलें चल रही हैं उनमें से ज्यादातर मुद्रास्फीति को लेकर तटस्थ से नरम रूख रखते हैं। वहीं राजन के बारे में माना जाता है कि वह मुद्रास्फीति को लेकर सख्त रूख अपनाते हैं। नोमूरा के अर्थशास्त्रियों ने आज एक नोट में कहा कि जिन नामों पर विचार चल रहा है उनमें से ज्यादातर मुद्रास्फीति को लेकर तटस्थ से नरम रूख रखते हैं। इससे वृद्धि समर्थक लॉबी राहत की सांस ले सकती है। नोट में हालांकि कहा गया है कि राजन के उत्तराधिकारी को लेकर व्यक्तिगत पसंद से मौद्रिक नीति की दिशा बदल सकती है। सरकार के रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति करार तथा मौद्रित नीति समिति के गठन से उसका (नए गवर्नर) का प्रभाव सीमित हो सकता है। रिजर्व बैंक गवर्नर के लिए जिन नामों पर चर्चा चल रही है उनमें मौजूदा मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम, नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया तथा एसबीआई प्रमुख अरंधति भट्टाचार्य का मुद्रास्फीति को लेकर रूख नरम है। वहीं आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकान्त दास तथा रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नरों सुबीर गोकर्ण तथा राकेश मोहन का मुद्रास्फीति को लेकर रूख तटस्थ है। ब्रोकरेज कंपनी के अनुसार मौजूदा डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल को मुद्रास्फीति के प्रति सख्त रूख रखने वाला माना जाता है। पटेल की सिफारिशों से ही आमतौर पर मौद्रिक नीति का रूख तय होता रहा है।

नई दिल्ली: जानबूझकर टैक्स ना चुकाने वाले लोगों की बढ़ती संख्या से परेशान आयकर विभाग ने अपने अधिकारियों को इनके साथ सख्ती से निपटने का आदेश दिया है। इसके साथ ही विभाग ने अधिकारियों से कहा कि वह ऐसे आरोपियों की गिरफ्तारी, हिरासत या फिर जब्त संपत्ति की नीलामी जैसे दुर्लभ प्रावधानों को अपनाने में भी झिझके नहीं। साल 2015 में ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर 58.95 लाख हो गई, जिन पर कर उत्तरदायित्व है और उन्होंने रिटर्न न भरा हो। 2014 में रिटर्न न भरने वालों की संख्या 22.09 लाख थी, वहीं साल 2013 में ऐसे लोगों की संख्या 12.19 लाख थी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए एक रणनीति पत्र में कर विभाग को एक ऐसे प्रावधान का उपयोग करने का निर्देश दिया, जिसका उपयोग अब तक शायद ही किया जाता रहा है। आयकर अधिनियम की धारा 276 सी (दो) के तहत तीन महीने से लेकर तीन साल तक की कैद हो सकती है और साथ में जुर्माना भी लग सकता है। आयकर विभाग ने बमुश्किल इस्तेमाल होने वाली इन शक्तियों को इस्तेमाल में लाने के लिए कर वसूली अधिकारी (टीआरओ) को प्राधिकृत किया है। विभाग ने रणनीति पत्र में कहा, 'ज्यादा कर्मचारी और बेहतर बुनियादी ढांचा मुहैया कराकर टीआरओ व्यवस्था को और मजबूत किया जा सकता है। टीआरओ को अधिक प्रभावी बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण की जरूरत होगी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख