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नई दिल्ली : पठानकोट के वायु सेना अड्डे पर आतंकी हमले के मामले में जांच के लिए पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल (जेआईटी) की भारत यात्रा के बाद अब भारतीय जांचकर्ता इस जांच को आगे बढ़ाने के लिए पाकिस्तान का दौरा करेंगे। आज लौटे पाकिस्तानी जांच दल के साथ पांच दिन की बातचीत खत्म होने पर एनआईए के महानिदेशक शरद कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा कि भारतीय दल की यात्रा की तारीख बाद में तय की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘हमने यह बात रखी कि पाकिस्तान में जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के एक दल को उस देश में भेजा जा सकता है क्योंकि साजिश वहां रची गयी है। उन्होंने इस विचार का स्वागत किया और तारीखें बाद में तय की जाएंगी।’ कुमार ने कहा कि एनआईए ने जेआईटी के सामने जैश-ए-मोहम्मद के ओहदेदारों और आतंकवादियों के आकाओं के खिलाफ ‘ठोस सबूत’ पेश किये। उन्होंने किसी का नाम लिये बिना कहा, ‘एनआईए ने जैश के कुछ वरिष्ठ ओहदेदारों की आवाज के नमूने भी मांगे।’

इस्लामाबाद: हमेशा की तरह इस बार भी पाकिस्तान ने अपनी 'बदनीयती' दिखाई है। पठानकोट हमले की जांच करने के बाद वापस लौटी पाकिस्तान की संयुक्त जांच टीम (जेआईटी) ने पठानकोट हमले के सबूतों को नकार दिया है। जेआईटी ने दावा किया है कि भारत इस हमले को लेकर भारत पर्याप्त सूबत देने में 'नाकाम' रहा। जेआईटी का कहना है कि कम समय में हमले के सबूत जुटाना मुश्किल था। जेआईटी ने दावा किया है कि भारतीय अधिकारी उन्हें साक्ष्य मुहैया कराने में ‘असफल’ रहे हैं, जो यह साबित कर सके कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने वायुसेना बेस पर हमला किया था। मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक जिओ न्यूज ने जेआईटी के करीबी सूत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि पाकिस्तानी जांचकर्ताओं को सैन्य बेस में मुख्य द्वार के बजाए एक छोटे रास्ते से अंदर ले जाया गया और उनका दौरा सिर्फ 55 मिनट का था। उतना समय सिर्फ सैन्य बेस में प्रवेश के लिए पर्याप्त था। सूत्रों के हवाले से, खबर में कहा गया है कि इतने समय में जेआईटी साक्ष्य एकत्र नहीं कर सकी। जेआईटी सदस्यों ने 29 मार्च को पठानकोट वायुसेना बेस का दौरान किया, जहां राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों ने उन्हें सूचनाएं दी और हमलावर जिस रास्ते से अंदर आए थे वह दिखाया।

नई दिल्ली: चीन ने एक नाटकीय घटनाक्रम में पठानकोट आतंकी हमले के मास्टर माइंड और जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिश पर संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर अवरोध पैदा कर दिया है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार को समयसीमा से कुछ घंटे पहले चीन ने संयुक्त राष्ट्र की समिति से अनुरोध किया कि इसे रोका जाए। यह समिति पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख पर पाबंदी पर विचार कर रही है। दो जनवरी को पठानकोट में वायुसेना अड्डे पर हमले के बाद, फरवरी में भारत ने संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखते हुए अजहर पर प्रतिबंध लगाकर तुरंत कार्रवाई करने की मांग की थी। यह मांग संगठन के आतंकी गतिविधियों और पठानकोट हमले में इसकी भूमिका को लेकर पुख्ता सबूतों के साथ की गई थी। इस हमले में सात भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। भारत ने संयुक्त राष्ट्र समिति से यह भी कहा था कि अजहर को सूची में शामिल नहीं करने से भारत और दक्षिण एशिया के अन्य देशों में आतंकवादी समूह और इसके प्रमुख से खतरा बना रहेगा।

वाशिंगटन चौथे परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन (एनएसएस) में शामिल होने के लिए गुरुवार को अमेरिका पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाशिंगटन डीसी में डिनर पर बराक ओबामा से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर लगाम के बिना परमाणु आतंकवाद का निवारण संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि ब्रसेल्स में हुआ हमला हमारे सामने इस बात का प्रमाण है कि कैसे आतंकवाद परमाणु सुरक्षा के लिए वास्तविक और तात्कालिक खतरा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी को आतंकवाद के कुछ बातों ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज का आतंकवाद अत्यधिक हिंसा का प्रदर्शन करता है। हम किसी गुफा में छिपे शख्स की तलाश नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम उस शख्स की तलाश कर रहे हैं जो एक शहर में कंप्यूटर या स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की जडे़ं वैश्विक स्तर पर फैली हैं लेकिन हम लोग इस खतरे से निपटने के लिए केवल कुछ देशों तक सीमित होकर ही कार्रवाई कर रहे हैं। ओबामा ने परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन से पूर्व डिनर का आयोजन किया था। इस 50 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी एक अप्रैल को परमाणु सुरक्षा के संदर्भ में कुछ अहम घोषणाएं करेंगे और प्रस्ताव रखेंगे।

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