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ब्रसेल्स: पिछले सप्ताह यहां हुए आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद से विश्व के समक्ष उत्पन्न खतरों को रेखांकित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र को ऐसी बड़ी चुनौतियों से निपटना चाहिए । ऐसा न कर पाने की स्थिति में यह वैश्विक संस्था अप्रासंगिक हो सकती है। यहां भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र अब तक आतंकवाद को परिभाषित करने में असमर्थ है। यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि आतंकवाद को मदद या शरण देने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहने वाले प्रस्ताव पर कानून बनाने में भी यह सक्षम नहीं हो पाया है। आतंकवाद को धर्म से हटाकर देखे जाने की जरूरत पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि इस खतरे ने पूरी मानवता के खिलाफ चुनौती पेश की है और जो लोग मानवता में यकीन रखते हैं, उन्हें मिलकर इससे लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को सिर्फ बंदूकों से नहीं हराया जा सकता, इसके लिए समाज में एक ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है, जो यह सुनिश्चित करे कि युवा चरमपंथ का शिकार नहीं बनें। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व आतंकवाद के असर को सिर्फ अब महसूस कर रहा है जबकि भारत इस खतरे का सामना पिछले 40 साल से भी अधिक समय से कर रहा है।

नई दिल्ली: देश के 12 राज्यों में सूखे के हालात को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कुछ अहम सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि क्या केंद्र सरकार राज्य सरकार को ये आदेश दे सकता है कि आप राज्य के इस हिस्से को सूखा घोषित करें और क्या राज्य सरकार इसको मानने के लिए बाध्य है ? न्यायालय द्वारा उठाए गए अहम सवाल यह हैं कि क्या कोर्ट किसी राज्य सरकार को ये कहा सकता है कि आप इन मानदंडों के तहत राज्य के इस हिस्से को सूखाग्रस्त घोषित करें? मनरेगा पर कोर्ट ने कहा कि क्या कोर्ट राज्य सरकार को डिजास्टर रिलीफ फंड का पैसा मनरेगा में इस्तेमाल करने की इजाज़त दे सकता है? कोर्ट ने ये भी कहा कि कोई मंत्री अपने निजी हित के लिए किसी राज्य के हिस्से को सूखाग्रस्त घोषित कर देता है तो क्या कोर्ट इस पर अंकुश लगा सकता है? कोर्ट ने कहा कि हमने ऐसे कई मामले देखे हैं, जिनमें नेता अपने निजी हित के लिए ऐसा करते हैं। कोर्ट ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के वक्त मंत्री पैसा बांट देते हैं।

ब्रसेल्स: भारत और बेल्जियम ने बुधवार को कुछ समूहों और देशों द्वारा आतंकवादी गतिविधियों को बढावा देने के लिये धर्म का ‘दुरूपयोग’ रोकने के लिये मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जतायी। इस बात पर जोर दिया कि सभी देश अपनी सरजमीं अथवा अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र से पैदा होने वाले आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बेल्जियम के उनके समकक्ष चार्ल्स मिशेल के बीच बातचीत के बाद जारी साझा बयान में दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि ‘कोई भी मुद्दा या मकसद निर्दोष लोगों के खिलाफ भयावह और विवेकहीन हिंसक गतिविधियों को उचित नहीं ठहरा सकता।’ बीते 22 मार्च को ब्रसेल्स में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों नेताओं की यह बैठक हुई। हमले में कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई थी। दोनों पक्षों ने कहा, ‘आतंकी नेटवर्क एवं उनके वित्तीय माध्यमों को बाधित करने, आतंकी पनाहों, प्रशिक्षण ढांचे और आतंकवादियों की सीमापार आवाजाही को खत्म करने की तत्काल जरूरत है।’

ब्रसेल्स: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रसेल्स आतंकी हमलों में मारे गये लोगों को आज श्रद्धांजलि दी जिसमें एक भारतीय समेत 30 से ज्यादा लोगों की जान चली गयी थी। भारत-यूरोपीय संघ शिखर-सम्मेलन में भाग लेने के लिए एक दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे मोदी ने बेल्जियम की राजधानी में मालबीक मेट्रो स्टेशन पर फूलमाला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी, जहां एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ाकर कई यात्रियों की जान ले ली थी। इन यात्रियों में बेंगलूरू का इन्फोसिस कर्मचारी राघवेंद्रन गणेशन भी था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, दुख की इस घड़ी में भारत एकजुटता के साथ खड़ा है। प्रधानमंत्री ने आधिकारिक कामकाज से पहले मालबीक मेट्रो स्टेशन पर फूलमाला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। स्वरूप ने कहा कि मालबीक मेट्रो स्टेशन पर प्रधानमंत्री ने गणेशन को और विस्फोट में मारे गये अन्य  मृतकों को याद किया। गत 22 मार्च को यहां हुए आतंकी हमले में कम से कम 32 लोग मारे गये थे।

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